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जानिए नागपंचमी कैसे और क्यों मनाते है, क्या है इसके पीछे की कहानी |...
नागपंचमी को सही से मनाने का ये है सही तरीका, भोलेनाथ को सावन में इस दिन होते है खुश। आगे पढे
Naag panchami Ko manane ka sahi tarika in Hindi | Sawan Rakshabandhan se pahale ki Nagpanchami Ki Kahani
भगवान शिव को सांपों का देवता माना जाता है। इसलिए नागपंचमी के दिन भूलकर भी जीवित सांप की नहीं बल्कि नागदेवता की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
नागपंचमी के पीछे की ये है पौराणिक कथा | nag panchami ki katha in Hindi
जानिए सावन में शिव चालीसा पढनें के लाभ, ऐसे पूजा करनें से खुश होते...
शिव चालीसा के सस्स्वर पाठ से मुश्किल काम को बहुत ही आसान किया जा सकता है। जाननें क लिए आगे पढिए।
भगवान शिव चालीसा का श्रावण मास में करें 40 बार पाठ, ऐसे सरल विधि से करें पाठ और देंखें लाभ
कितनी बार और कैसे करें शिव चालीसा का पाठ | kaise, aur kitani bar karain shiv chalisha ka path
भक्तों को पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।
शिव चालीसा का 3,5,11 या फिर 40 बार पाठ करें।शिव चालीसा का पाठ बोल बोलकर करें जितने लोगों को यह सुनाई देगा उनको भी लाभ होगा।
शिव चालीसा आरम्भ
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
जानिए भोले बाबा सच में भांग पीते थे या नही, क्या है इसके पीछे...
शिव भगवान क्या वास्तव में भांग, चिलम पीते थे, क्या शंकर भगवान नशा करते थे। आगे पढिए
Kya bhagwan Shiv Sach main bhang ya chilam peete the in Hindi full Story
भगवान शिव भांग पीते थे, कई भक्तों ने भगवान शिव की ऐसी तस्वीरें बनाई हैं, जिसमें वह चिलम पीते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह वास्तव में निंदनीय है। आइए जानते हैं समाज में प्रचलित धारणा।
जानिए सावन क्यों है पवित्र महीना, क्यों विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा...
सावन को पवित्र वनाने की है ये असली बजह। कहा जाता हैं सावन भगवान शिव (Lord shiva) का अति प्रिय महीना होता हैं।
हर सावन के सोमवार में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सभी तरह की इच्छाएं जरूर पूरी होती हैं | Sawan Mahina in Hindi
श्रावण ( Sawan Month ) मास में ही समुद्र मंथन हुआ था जिसमे निकले हलाहल विष को भगवान शिव (Lord shiva) ने ग्रहण किया जिस कारण उन्हें नीलकंठ (NeelKanth Mahadeo) का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने से सृष्टि को इस विष से बचाया।
इसके बाद सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं। ये धार्मिक मान्यतानुसार काफी प्रचलित है।